THE BASIC PRINCIPLES OF मध्यकालीन भारत का इतिहास

The Basic Principles Of मध्यकालीन भारत का इतिहास

The Basic Principles Of मध्यकालीन भारत का इतिहास

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मुगलकालीन ऐतिहासिक स्रोतों में राजकीय पत्र, डायरियां, फरमान, ऐतिहासिक ग्रंथ एवं विदेशी यात्रियों के विवरण प्रमुख हैं। मुगलकालीन फारसी साहित्य के मुख्य ग्रंथ इस तरह हैं- तुजुक-ए-बाबरी[संपादित करें]

एन. डी के अनुसार, ‘‘यद्यपि पुस्तक की शैली अत्यधिक कलात्मक और अलंकृत है, पर इसमें वर्णित सामान्य तथ्य साधारणतः सत्य है।’’ तबकात-ए-नासिरी[संपादित करें]

मुबारक खिलजी का चाटुकारितापूर्ण वर्णन।

जानिये कैसे हुआ ताजमहल का निर्माण -एक नदी के किनारे कैसे टिका है ताजमहल

विजयनगर साम्राज्य के प्रथम राजवंश का क्षेत्रीय विस्तार विजयनगर साम्राज्य पर चार राजवंशों ने शासन किया-

यह सामग्री क्रियेटिव कॉमन्स ऍट्रीब्यूशन/शेयर-अलाइक लाइसेंस के तहत उपलब्ध है;

रैपसन: “इतिहास घटनाओं के पाठ्यक्रम या विचारों की प्रगति से संबद्ध एक लेखा-जोखा है।”

इतिहास के विभाग में पाँच व्याख्याता हैं।

) ने उपमितिभव प्रपंच कथा, जिनेश्वर सूरि ने कथाकोश प्रकरण और नवीं शताब्दी ई. में जिनसेन ने आदि पुराण और गुणभद्र ने उत्तर पुराण की रचना की। इन जैन ग्रंथों से तत्कालीन भारतीय सामाजिक और धार्मिक दशा पर प्रकाश पड़ता है।

इतिहास मनुष्य का अध्ययन है। यह समय और स्थान में मनुष्य से संबंधित है। यह अतीत के प्रकाश में वर्तमान here की व्याख्या करता है। निरंतरता और सुसंगति इतिहास की आवश्यक आवश्यकताएं हैं। इतिहास का दायरा विशाल है; यह उसके व्यवहार की समग्रता के संबंध में मनुष्य की कहानी है।

दूसरे परियोजनाओं में विकिमीडिया कॉमन्स

खोंदमीर रचित कानून-ए-हुमायुनी हुमायूँ के शासनकाल का समसामयिक विवरण प्रस्तुत करती है।

एक और इतिहासकार आरसी मजूमदार शेरशाह पर लिखी पुस्तक के एक अध्याय 'हेमू- अ फॉरगॉटेन हीरो' में लिखते हैं, पानीपथ की लड़ाई में एक दुर्घटना की वजह से हेमू की जीत हार में बदल गई, वर्ना उन्होंने दिल्ली में मुग़लों की जगह हिंदू राजवंश की नींव रखी होती। मुग़ल साम्राज्य[संपादित करें]

पू. में ‘हिस्टोरिका’ नामक पुस्तक की रचना की थी, जिसमें भारत और फारस के संबंधों का वर्णन है।

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